श्री हनुमान चालीसा में 40 चौपाइयां हैं जिन्हें 40 मंत्र कहा गया है जिनके पठन-पाठन से जीवन धन्य हो जाता है
🌹श्री हनुमान चालीसा (5)🌹
श्री हनुमान चालीसा में 40 चौपाइयां हैं जिन्हें 40 मंत्र कहा गया है जिनके पठन-पाठन से जीवन धन्य हो जाता है श्री हनुमान चालीसा की शुरुआत दो दोहे से होती है पहली 10 चौपाईयों में हनुमान जी की शक्ति और बल का वर्णन किया गया है 11 से 13 चौपाई प्रभु श्री राम के भाई लक्ष्मण पर आधारित हैं 14 से 17 चौपाई श्री हनुमान जी द्वारा विभीषण और सुग्रीव को राजा बनाने का वर्णन है 18 से 38 चौपाई में श्री हनुमान जी की शक्ति एवं बल का वर्णन किया गया है 39 और 40 चौपाई में श्री हनुमान जी की वंदना की गई है अंत में एक दोहे से समाप्ति होती है प्रत्येक मंत्र चौपाई की छमता अनुसार क्रमशः ब्याख्या की जायेगी पहले दोहे की शुरुआत श्री गुरु शब्द से होती है
श्री गुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि
वरनउं रघुबर बिमल जसु जो दायक फल चारि
श्री शब्द का प्रयोग मां सीता जी के लिए किया गया है श्री राम व श्री सीता जी तथा श्री लक्ष्मण वन को जा रहे हैं तो तुलसीदास ने मानस में लिखा है
उभय बीच श्री सोहइ कैसे
ब्रम्ह जीव बिच माया जैसे
यहां श्री का अर्थ मां सीता से है जैसे ब्रह्म और जीव के बीच माया हो मां सीता जी ऐसी सुशोभित हो रही हैं
गुरु शब्द का हर धर्म में बड़ा महत्व है हिंदू धर्म में गुरु का विशेष स्थान है गु शब्द का अर्थ है अंधकार और रू शब्द का अर्थ उजाला है जो अंधकार से उजाले की तरफ ले जाए वह गुरु है तुलसीदास जी ने मानस में गुरु शब्द का प्रयोग बार-बार किया है
कुछ भक्तों का मानना है कि तुलसीदास जी को प्रभु श्री राम के दर्शन श्री हनुमान जी ने कराया था इसलिए तुलसीदास जी के गुरु श्री हनुमान जी हुए इसका उल्लेख आगे किया जाएगा
इसीलिए गुरु वंदना के साथ हनुमान चालीसा का प्रारंभ किया गया है
🌹 जय जय जय बजरंग बली🌹
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