भारतेंदु हरिश्चंद्र, हिन्दी भाषा जगत सदैव आपका ऋणी रहेगा, पुण्यतिथि पर शत् शत् प्रणाम।
(9 सितंबर 1850-6 जनवरी 1885) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह, वे हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। मात्र 35 वर्ष से भी कम जीवन काल में उन्होंने हिन्दी के लिए वह कार्य किया कि आगे चलकर वह भाषा स्वतन्त्र भारत की राजभाषा के पद पर आसीन हैं गई।
लेकिन हम भारतीय भाषा प्रेमी 75 वर्षों से भी अधिक कालावधि में हिन्दी के लिये कुछ उल्लेखनीय नहीं कर पाये।
(अग्रवाल समाज के लिये गर्व का विषय यह है कि भारतेन्दू हरिश्चन्द्र "अग्रवाल" थे और अग्रवाल जाति का इतिहास को लिखने का कार्य भी सबसे पहले उन्होंने ही किया। क्या अग्रवाल समाज का यह कर्तव्य नहीं बनता कि उनके कार्य को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दें। आओ हम सब अग्रवाल हिन्दी को अपनी भाषा बनाएं और अपने घरों, दुकानों, कार्यालयों के नामपट हिन्दी में बनाएं। समाजिक संचार माध्यमों (सोशल मिडिया) पर देवनागरी हिन्दी में ही लिखें। जहां तक हो सके हिन्दी का ही प्रयोग करें।
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