जीता रहा मै, अपनी धुन मे**दुनिया का कायदा नही देखा


*जीता रहा मै, अपनी धुन मे*
*दुनिया का कायदा नही देखा...*
*रिश्ता निभाया तो दिल से,*
*कभी फायदा नही देखा।

        *एक किताब  की तरह हूँ मैं...*
       *कितनी भी पुरानी हो जाए....*
    *पर उसके अलफ़ाज़ नहीं बदलेंगे...*
*कभी याद आये तो, पन्ने पलट कर देखना...*
*हम आज जैसे है, कल भी वैसे ही मिलेंगे..

Comments