राधे

एक बार "राधे" कहो 
सौ बार "कृष्ण" हो जाये,
"राधे राधे" सुमिरन कर,
भव सागर तर जाये,
कहीं भी इतना आनंद नहीं 
जितना "वृन्दावन धाम" में है।।

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