मीरा को लगा की,जहर मे कैसा नशा है।,,,,,,देख लू।*

*राम राम राम जी*
 *मीरा को लगा की,जहर मे कैसा नशा है।,,,,,,देख लू।* 
 *तो जहर को लगा की,इसी बहाने कंठ मे ,,कृष्ण प्रेम देख लू।* 
 *बिना रिश्ते के जो अजनबी अपने से हो जाते है,कभी-कभी खून के रिश्तो से भी वाकई मे बडे हो जाते है।*
         

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