*।। जय सियाराम जी।।* *।। ॐ नमह शिवाय।।*जिस जीवन में अच्छाई होती है वही जीवन सम्मानीय भी होता है। अच्छे कार्य करने से ही व्यक्ति महान बनता है। विचारात्मक प्रवृत्ति रचनात्मक जरूर होनी चाहिए।*

*जिस जीवन में अच्छाई होती है वही जीवन सम्मानीय भी होता है। अच्छे कार्य करने से ही व्यक्ति महान बनता है। विचारात्मक प्रवृत्ति रचनात्मक जरूर होनी चाहिए।*
 
           *कुछ ऐसा करो कि समाज की उन्नति हो। समाज स्वस्थ, सदाचारी बनकर उन्नति के मार्ग पर चले जिससे सबका भला हो। वेद यही तो कहते हैं, जब हर प्रकार से आप अपना कल्याण करना चाहते हैं तब धन के, भोग के पीछे मत भागना।*
 
           *मैंने दुनिया से बहुत लिया अब देने की बारी है। अब लेने के लिए नहीं देने के लिए जीना। मत भूलो ये जीवन अस्थायी है। इसलिए जीवन के प्रत्येक क्षण का सम्मान करो।*

*!!!...शिकवे तो सभी के पास हैं ज़िन्दगी में*
*मस्ती में जीना चाहते हो तो शिकायत करना छोड़ दो…!!!*
      *।। जय सियाराम जी।।*
      *।। ॐ नमह शिवाय।।*

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