भजन बंदगी*
रोज रोज 'भजन बंदगी' करने से जो 'ताकत' मिलती है, उसे लफ्जों में बयान नहीं किया जा सकता। हमारी छोटी सी 'कोशिश' का भी असर होता है यह बात "बाबाजी" ने उस समय स्पष्ट कर दी, जब एक नौजवान को सवाल जवाब के दौरान कहा कि "तुम 'एक' लिखो, आगे के दो 'जीरो' मैं लगा दूँगा, तो 'सौ' बन जाएगा। 'सौ फीसदी'। लेकिन शुरूआत तुम्हें ही करनी होगी।
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अमृत वेले जाग के बन्दे ,*
*ध्यान प्रभु का लगाया कर ।*
*किया जो गुरु से वादा ,*
*उसको रोज़ निभाया कर ।*
*जग के कारज तेरे कभी खत्म न होंगे ।*
*सब कुछ होगा तब भी जब हम न होंगे ।*
*श्वासो की कीमत को पहचान ले बन्दे ,*
*वक्त बीत रहा है मगर खाली हाथ है हम ।*
*जोड़ " सिमरन "के मोती काम वही तेरे आयेंगे ,*
*धन दौलत, मान बड़ाई सब यही धरे रह जायेंगे ।*
*सब यही धरे रह जायेंगे .
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